- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की युवा पीढ़ी के अकादमिक स्तर को बढ़ाना ।
- शैक्षणिक अमले की पूर्ति कर नियंत्रण रखना ।
- विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के बीच सामंजस्य स्थापित करना ।
- उच्च शिक्षा के लोकव्यापीकरण हेतु निजी विश्वविद्यालयों एवं निजी महाविद्यालयों को प्रोत्साहित करना ।
- शिक्षा को रोजगारमूलक बनाने हेतु अधिकाधिक व्यवसायिक पाठ्यक्रम लागू करना तथा विद्यार्थियों के लिये बाजार के अनुरूप रोजगार उपलब्ध करवाने के अवसर का सृजन करना ।
- सभी वर्गो के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना ।
- शैक्षणिक अमले की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु निरंतर रिफरेशर कोर्स में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना /आयोजित करना ।
- एन.एस.एस./एन.सी.सी. आदि पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिये प्रोत्साहित करना तथा नैतिक मूल्यों केसाथ व्यक्तिगत विकास के लिये स्वस्थ वातावरण निर्मित करना ।
- विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शोध कार्यक्रमों के स्तर को बेहतर बनाने के लिये आवश्यक अध्यादेश
परिनियम बनाना । - राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का भर्ती प्रतिशत बढ़ाने हेतु निरंतर आवश्यक अधोसंरचना का
विकास करना । - शैक्षणिक संस्थाओं में गुणवत्ता कायम करने हेतु बेहतर अधोसंरचना जैसे ग्रंथालय, प्रयोगशाला,
महाविद्यालय भवन एवं अन्य निर्माण कार्यो की व्यवस्था करना । - समाज के बी.पी.एल., एस.टी., एस.सी. एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र छात्राओं के लिये विशेष कार्यक्रमलागू कर इन वर्गो में उच्च शिक्षा का प्रतिशत बढ़ाना ।
- विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता को बरकरार रखते हुये उन पर पर्याप्त नियंत्रण रखना तथा यू.जी.सी. के
साथ समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं के लाभ प्राप्त कराना ।