नैक से बी ग्रेड प्राप्त वीरांगना अवंती बाई लोधी शासकीय महाविद्यालय, पथरिया, जिला – मुंगेली, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की अवधारणा को साकार करते हुए 1989 में स्थापित होने के पश्चात् उत्तरोत्तर विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। 160 विद्यार्थियों से प्रारंभ होकर, वर्तमान में इस महाविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 1088 तक पहुंच चुकी है। कला, वाणिज्य एवं विज्ञान की त्रिवेणी यहां प्रवाहित हो रही है।
महाविद्यालय में समाजशास्त्र, हिंदी, भूगोल, राजनीतिशास्त्र एवं एम.कॉम. विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र विषय में शोध केंद्र निश्चित रूप से अंचल के लिए मील का पत्थर साबित होगा। परीक्षा परिणामों में अपेक्षित सफलता मिल रही है, और अन्य गतिविधियों में भी महाविद्यालय अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है। विद्वान प्राध्यापक ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। विद्यार्थियों की जिज्ञासा एवं शंकाओं का समाधान करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है।
नित नए प्रयोग और नवाचार के माध्यम से परंपरा और आधुनिकता का सामंजस्य स्थापित करते हुए, हम विद्यार्थियों को परिणामोन्मुख बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। महाविद्यालय में वर्ष 2024 से सभी संकायों के प्रथम सेमेस्टर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। यह नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विषय से संबंधित ज्ञान, कौशल विकास, मूल्यपरक तथा रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करती है।
इस नीति में सतत मूल्यांकन का प्रावधान है, जिससे विद्यार्थियों की मानसिक ऊर्जा और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी। बहुविषयक प्रणाली पर आधारित यह नीति विद्यार्थियों को उनकी इच्छानुसार अन्य संकायों के विषयों का अध्ययन करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।
शिक्षा विद्यार्थियों में नीर-क्षीर का विवेक उत्पन्न करती है। व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ समय के साथ अपडेट रहना भी आवश्यक है। ग्रामीण अंचल का यह महाविद्यालय अपने विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ नैतिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। विद्या के संदर्भ में गुप्त जी की निम्न पंक्तियां अत्यंत प्रेरणादायक हैं:
‘‘विद्या मधुर सहकार करती सर्वथा कटु निम्ब को,
विद्या ग्रहण करती कलों से शब्दों को प्रतिबिंब को।
विद्या जड़ों में भी सहज ही डालती चैतन्य है,
हीरा बनाती कोयले को, धन्य विद्या धन्य है।’’
प्राचार्य
डॉ. अंजलि शर्मा
वी. अ. बा. लो. शासकीय महाविद्यालय, पथरिया, जिला – मुंगेली (छ.ग.)